गुरुवार, नवंबर 01, 2012

पियू घर जाणा


कुछ ना सुहाए मोको, कुछ नईं भाणा,
माई री माई मोको, पियू घर जाणा.

एक तले पे, सौ फुलवारी, 
दूजे पर है, सेज हमारी,
तीजे पे चढ़ि मै सब सुख पाणा. माई...

चौथे तले पियू साज बजाए, 
जितना भी नाचूंमन ना अघाए,
कौन सुनाए
, मधुर अस गाणा. माई...

पंच पे छप्पन भोग बनाऊं
, 
पियू मॉगे, पर जी ललचाऊं,
छठवें चढ़ि के पियू को जिमाणा. माई...

सात तले पर
, आखिर बाजी, 
जो पियू भाए, सो मन राजी,
चाहूं पिया मोहे समझे न माणा. माई...
***

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