रविवार, जनवरी 13, 2013

लौट कर


पीता-पीता पानी,
पढ़ते-पढ़ते अखबार,
और उतरता हुआ सीढियां,
मै गया था चला,
उन्हें समझाने, 
और बताने. 
लौटकर,
कोशिश में लगा हूँ-
उतरने की अखबार से, 
पढ़ने की पानी को, 
और पीने की,
सीढ़ियों को.
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1 टिप्पणी:

  1. कभी कभी किसी को समझाना भी उल्टा पड़ जाता है,बेहद ही सुंदर रचना।

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